तुम-बिन
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कोई ख़ुशी अब कोई गम नहीं है !
तुमसे जुदाई का अब कोई इस
दिल में ज़ख़्म नहीं है !
सारे कश्मे-वादे टूट गए !
अब इस दिल में भी कोई
उमंग नहीं है !
हमने पनाह ले-ली अब गहरी
नींद की आगोश में !
बेवफा हो तुम किसी दिल के
कातिल हम नहीं है !
कितनी सिद्दत से चाहा तुम्हे !
तुम-बिन हम केसे रह पाते
ऐ- मेरी जिंदगी !
तुमसे जुदा हो कर अब ज़िन्दा
हम नहीं है !
विजय गिरी