खुशियों में कविता और गम शायरी लिखते हैं
खुदा रखे उन्हें सलामत जिस पे हम मरते हैं
महफ़िलो में जब हम दर्द ऐ दिल बया करते हैं
दोस्तों एक आह सी निकल जाती हैं
जब लोग वाह वाह करते हैं
कोरे कागज़ पे जब हम हाल-ऐ-दिल लिखते है
लोग उसे भी एक ग़ज़ल कहते हैं
पलके छलक जाती है
जब लोग हमसे एक और फरमाइश करते हैं
खुदा रखे उन्हें सलामत जिनकी यादों
में हम दर्द-ऐ-दिल लिखते है
जिसे कोई कविता,तो कोई शायरी कहते हैं...
-Vijay Giri
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