ना पास आते है ! ना दूर जाते
है वो !
जब भी दूर जाना चाहा तो
मेरा हाथ थाम लेते है वो !
इस कशमकश को क्या
समझू मै !
जब भी थामना चाहा उनका
साथ !
अपना दामन छुड़ा लेते
है वो !
जब भी चाहा उनको भूलना
खवाबो में आ के मुस्कुरा
देते है वो !
जब भी चाहा हमने उनसे
रूबरू होना तो अपनी नज़रे
चुरा लेते है वो !
करू उन का शुक्रिया जो चन्द
पलों की खुशिया दे जाते
है वो !
या करू उन से शिकायत जो
मेरे हँसते हुए पलकों को रुला
जाते है वो ?
विजय गिरी
No comments:
Post a Comment