प्यार-विशवाश से जो देखे कोई हमें
तो मई गले का हार हु !
वर्ना चमकती हुई एक तलवार
हु मै !
प्यार की भाषा के लिए एक मीठी
सी बोली हु मै !
नफरत के लिए तो एक बन्दुक
की गोली हु मै !
किसी का प्यार किसी का सम्मान
तो किसी का इमान हु मै !
एस कलयुग में सीधा-सच्चा इंसान
हु मै !
प्यार-विस्वास इमान पे तो कुर्बान हु मै
वर्ना महाकाल हु मै !
इंसान हु इंसानों से प्यार करता
हु !
नजरो में सराफत और दिल में
दुस्मानो के लिए भी प्यार रखता
हु मै !
हर इंसानों के जस्बदो का सम्मान
रखता हु मै !
मत खेलना मेरे जस्बदो से कभी !
वर्ना प्यार के साथ मौत का सामान
रखता हु मै !
विजय गिरी
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