जाने कितने राज हमने इस दिल मे
छुपा रखा है !
किसी की वेवाफाई को इस दिल में
बसा रखा है !
किसी ने प्यार को हीर तो किसी ने
प्यार का नाम खुदा की निमायत
रहमो-करम रखा है !
किसी की यादो में किसी ने अपने
घर के चिराग को बुझा रखा है !
तो कोई प्यार के खातिर अपने
घरो में खुशियों की शमा जला
रखा है !
पर प्यार में मिले है इतने हमें
ज़ख़्म की हमने तो मोहब्त का
नाम ही वेवफा रखा है !
विजय गिरी
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