मेरे नशीब
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एक पल की ख़ुशी का मुझे उस खुदा ने
मोहताज बना दीया !
एक थी वो मेरी जिंदगी उसे भी उस खुदा
ने अपने ही पास बुला लीया !
बड़ा बेबस हु चन्द खुशियों के लिए !
चन्द पली की मांगी जो खुशिया
उस खुदा से !
मुझे फकीर बना दीया !
थक गया हु इस संघर्ष भरी जिंदगी से !
माँगा जो साथ किसी का एक पल के लिए !
लोगो की ठोकरों को ही मेरा नशीब बना
दीया !
विजय गिरी
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