बेवफा सनम
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तेरी चाहत में तो खुद को
भुला दिया !
ओढ़ के कफ़न हर राज को
अपने सीने में छुपा लीया !
माना तेरी चाहत में आज भी
लोगो के सर झुकते है !
पर यकीन कर वो लोग मेरी
ही मजार के फुल अपने हाथो
में रखते है !
तेरी खुदगर्जी को क्या कहू मै
ए- सनम !
बेवफा बोलू तो लोग मुझपे ही
हँसते है !
मेरी मोहबत की कसमे तो लोग
आज भी खाते है !
अपने प्यार के खातीर वो अपना
सर मेरी मजार पे झुकाते है !
मेरी मोहबत का तुमने ये केसा
दगा दिया !
तेरी चाहत में तो मेने खुद को
मिटा दिया !
विजय गिरी
very nice bro
ReplyDeleteoustanding.......superbbbbb
ReplyDeletesukriya janab
Deletepari sis & rakesh kabhi kabhar yaha bhi ghumne aa jaya kijiye
ReplyDeleteSUKRIYA VIBHA JI
ReplyDeleteतेरी चाहत में तो खुद को
ReplyDeleteभुला दिया !
ओढ़ के कफ़न हर राज को
अपने सीने में छुपा लीया !
मेरी मोहबत की कसमे तो लोग
आज भी खाते है !
अपने प्यार के खातीर वो अपना
सर मेरी मजार पे झुकाते है !
लाजवाब ग़ज़ल,बधाई
dr.sahab aap ka bahut-bahut aabhar es nachij ki rachna ko badhai ke liye !
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