तडपती रही वो मेरी जिंदगी
मेरे ही नजरो के सामने और
हम कुछ कर भी ना पाए !
क्या बताए हम तुम्हे दर्द-ए
दिल दोस्तों बड़ी मुद्दत से
मिले वो हमें !
और हम थे इतने मजबूर
की दो लफ्ज प्यार के
बोल भी ना पाए !
लोग आते रहे लोग जाते रहे
कुछ तो हमारी बेबसी पे
मुस्कुराते रहे !
तडपती रही वो जिंदगी हमारी
और हम दूर से ही तनहा
बैठे अपने अस्क बहते रहे !
इस से बड़ी बेबसी भी क्या होगी
की हम अपनी तडपती हुई
जिंदगी को दो पल का साथ
दे - ना सके !
और रोना भी चाहा तो
दिल खोल के रो ना सके !
विजय गिरी