एक नज़र जो देख लो तुम मुझको
तो मेरी तक़दीर बदल जाएगी !
बैठा हु तेरे इन्तजार में ये
तेरी जुल्फों से दिल पे सावन की
घटा छा जाएगी !
मै मदहोश हु तेरे खयालो में
जाने कब तेरे गुलाबी-सुर्ख ओठ
मेरी प्यास बुझाएगी !
जाने कितने घायल हुए
तेरी इन कातिल नजरो से
मुझे कब ये अपनी पलकों
में बसाएगी !
ये खिलता हुआ योवन सावन
में भी पतझड़ की तरह यु ही
गुजर जाएगी !
एक नज़र जो देख लो तुम
मुझको तो मेरी तक़दीर ही
बदल जाएगी !
विजय गिरी
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