कदम-कदम तू बढ़ाये जा
होसला ऐ दिल तू बढ़ाये जा
ना-रुक -ना झुक -ना पीछे
तू मुड़ !
गहरी-गहरी सासों पे कदम
से कदम मिलाये जा !
तपती हुई धुप में लक्छ्य की
लोअ जलाये जा !
ऊचे-ऊचे पर्वतो पे अपनी थाप
तू बनाये जा !
मंजिल है तेरे कदमो में बस
कदम-कदम तू बढ़ाये जा !
बढ़ते रह तू झटप-झटपट
नजरो से काँटों को हटाये जा !
कदम-कदम तू बढ़ाये जा
ना थक-ना हार रास्ते बनेगे
हजार !
कामयाबी होगी तेरे कदमो में
बस होसला ए दिल बनाये जा
जित की लोअ जलाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
विजय गिरी
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