आज लोगो की बोली मनो बन्दुक की
गोली है !
छल्ली कर जाते ये सीना और खेली
खून की होली है !
ओ प्यार के दुश्मन नफरत के पुजारी !
अजीब सी तेरी सीना-जोड़ी है !
प्यार-दोस्ती तेरा इमान खोखली
तेरी ये बोली है !
हाथो की मेहन्दी को भी बदल देते
लाल रंग में ये केसी लोगो की बोली
है !
बात-बात पे खेली खून की होली है !
ओ गुरुर में जीने वालो देखो कितनी
माओ की सुनी गोदी है !
दिल में भरा नफरत का बारूद
तेरे लबो पे बन्दुक की गोली है !
खेली खून की होली है !
खेली खून की होली है
विजय गिरी
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