Monday, 13 May 2013
ठोकर लगी है एक ज़िन्दगी से !
मै मुस्कुराना भूल गया !
समेटे हुए हु उसकी कुछ पुरानी
यादो को !
मै खवाब सजाना भूल गया !
वो कहते थे हम ता उम्र साथ
निभायेगे तुम्हारा !
एक आंधी चली और
उनसे साथ मेरा छुट गया !
विजय गिरी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment