प्यार की मौत
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उनको अपनी जिंदगी समझ के
हर खवाबो को हम सजाते रहे !
वो रुठते रहे हम से यारो !
हम तो प्यार का खुदा समझ
के उन्हें मनाते रहे !
हमारी चाहतो में जाने कितनो
के अश्क छलकते रहे !
कई ने दिया पनाह हमें अपनी
आगोश में !
पर हम तो सिसकते हुए !
उन्हें अपनी जिंदगी समझ
के बढ़ते रहे !
होश न था हमें भी यारो !
प्यार-मोहबत की चाहत में
कभी खवाब टूटते तो कभी
सवरते रहे !
जब मिली वो जिंदगी हमारी तो
देखा हमने !
ये कदम तो प्यार की चाहत में
मौत की तरफ ही बढ़ते रहे !
विजय गिरी !
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