यु तिरछी नजरो से देख के
तुम हमें घायल बनाया ना
करो !
रातो को खवाबो में आ कर
यु मुस्कुराया ना करो !
छुप-छुप के देख के हमें
यु शरमाया ना करो !
नज़रे मिला के यु नज़रे
हमसे चुराया ना करो !
हो तुम हमारे दिल में यु दिल
को दुखया ना करो !
बड़ा नाज़ुक सा है ये हमारा भी
दिल !
यु बार-बार जा दूर जा के तुम
हमें यु आजमाया ना करो !
विजय गिरी
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