मेरा खुदा == ना मंदिर ना मस्जिद जाते है !
हम तो बस तेरा ही गुणगान गाते है !
देखते है जब भी तुम्हे मनो चारो- धाम
हम तो तुम्ही में पाते है !
झुकता है सारा संसार उस खुदा के सामने
पर उस खुदा का प्यार तो हम तुम्ही
में पाते है !
कोई दीप तो कोई मन्नत से उस खुदा को
बुलाता है !
पर मेरा खुदा तो मेरी खुशियों के लिए
पल-भर में दोड़ा चला आता है !
मेरे खुदा तो वो इंसान है !
जीसके लीए मेरी खुशिया मंदिर
और मेरा दिल अजान सामान है !
तो क्यों जाऊ मै मंदिर क्यों
जाऊ मै मस्जिद !
मेरे लीए तो तू ही खुदा और
तेरा प्यार ही वो चारो-धाम है !
विजय गिरी
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