ये जिंदगी तो है एक मिट्टी का खिलौना
जाने कब ये टूट जाय !
खुशियों के ये पल गुजार लो हँसते-गाते
जाने कब ये खुशिया रूठ जाय
यादे खूब सताएगी जब ये खुशिया रूठ
जाएगी !
समेट लो अपने दामन में इन छोटी-छोटी
खुशियों को गम तो जिंदगी भर साथ निभाएगी !
साथ रहती है ख़ुशियाँ प्यार निभाने में
हर आशु बहता है किसी के रूठ जाने में !
गुजार जाती है जिंदगी रूठने-मानाने में
और ज़िन्दगी भी कम पड़ जाती है दोस्तों
वफ़ा निभाने में !
विजय गिरी
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