एक नजर जो देखा तुम्हारा नुरानी चेहरा !
तो इस दील में तुम्हे बसा लिया !
है सागर से भी गहरी तुम्हारी आख़े जीसने
मुझे घायल बना दीया !
मदहोश है ये मेरा दील तेरे वास्ते तुम्हे
तो हमने अपना मुकद्दर बना लीया !
है तेरे ओठ तो वो गुलाबो की पंखुड़ी
जीसे हमने अपना गजल बना लीया !
क्या खूब है तेरी अदाए क्या खुदा ने तुम्हे
बना दीया !
नजर ना लगे इस ज़माने की तुम्हे कही
हमने तो अपनी पलकों में तुम्हे छुपा लीया !
देखा जो तुम्हे एक नजर तो पहली नजर
में ही अपना बना लीया !
है तू -ही तो मेरी ज़िन्दगी तुम्हे अपने दील
की धरकनो में बसा लीया !
विजय गिरी
its a awesome... i love it
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