बची हुई ज़िन्दगी को गमो से भर दिया !
जीने की ख्वाइश तो हमने छोड़ ही दी थी !
मरने भी ना दिया उन्होंने असा ज़ख्म दिया !
बसा लिया उन्होंने तो अपने अरमानो का
आशियाना !
हमें तो अपनों से भी बे-घर किया !
रखा था उम्हे जहा संभल के वही
दर्द दिया !
ले लिया था वादा उन्होंने ता-उम्र साथ
निभाने का !
खुद ही बैठ गए किसी और कसती में
जो पानी में थोडा सा कम्पन हुआ !
भर गए मेरी ज़िन्दगी को वो तो गमो से
उन्हें चाहने का ये क्या सीतम हुआ !
विजय गिरी
so touching bhai...real fact:)
ReplyDeletethanx my lovely sis
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