किसी की कमी तो वो जाने जीनकी
आँखे दिन-रात बरसती है !
जेसे बारिश की एक बूंद के लीए
ये प्यासी धरती तड़पती है !
ये मोहब्त भी क्या चीज है जो सबको
मील नहीं सकती !
अरे टूट भी जाय ये दील पर ये चाहत
कभी रूठ नहीं सकती !
मेरी भी ये पलके तेरा रास्ता निहारती है !
कहा खो गए हो तुम ये तो दिन-रात
बरसती है !
किसी की कमी तो वो जाने जो प्यार को
जिंदगी समझते है !
जेसे रेगिस्तान की धुप में प्यासे एक बूंद
पानी को तरसते है !
है मुझे भी तेरा इंतजार ये आँखे
तरसती है !
जेसे बारिश की एक बूंद के लीए
ये प्यासी धरती तरपती है !
विजय गिरी
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