Friday 26 August 2011

यादे



वो तेरी यादे इस दिल से जुदा नहीं होती ! 
भूलना तो चाहा तुम्हे  पर  ऐसी  कोई  खता 
नहीं होती !
प्यार -मोहब्बत  में तो मिलते है अक्सर ऐसे जख्म 
 वर्ना मोहब्बत  कभी बेवफा नहीं होती !
कर देता में खुद को कुर्बान पर मोहब्बत की कोई कीमत नहीं होती !
तोड़ देते है कसमे वादे लोग मोहब्बत कोई सजा नहीं होती !
मोबब्बत तो है दो दिलो का मिलन इसमे कोई खता नहीं होती !
होती जो अगर तुम्हे भी मुझसे मोहब्बत तो तुम मुझसे 
कभी जुदा नहीं होती !

अरे केसे भुला  दू  में  तुमको वो तेरी यादे इस दिल से जुदा नहीं होती !
                    

  विजय गिरी

3 comments: