Saturday 7 July 2012

मेरे ज़ख्मो पे बजती है तालियाँ



खुशियों में कविता और गम शायरी लिखते हैं
खुदा रखे उन्हें सलामत जिस पे हम मरते हैं
महफ़िलो में जब हम दर्द ऐ दिल बया करते हैं
दोस्तों एक आह सी निकल जाती हैं
जब लोग वाह वाह करते हैं


कोरे कागज़ पे जब हम हाल-ऐ-दिल लिखते है
लोग उसे भी एक ग़ज़ल कहते हैं
पलके छलक  जाती है 
जब लोग हमसे एक और फरमाइश करते हैं
 

खुदा रखे उन्हें सलामत जिनकी यादों
में हम दर्द-ऐ-दिल लिखते है
जिसे कोई कविता,तो कोई शायरी कहते हैं...




-Vijay Giri

थामे रखना हाथ






थामे रखना हाथ  मेरा 
वरना आज़ाद पंछी की तरह 
मै उड़ जाऊंगा 
यादो में तेरी एक 
मीठा सा दर्द बनके बस जाऊंगा  !
 
छोड़ना न कभी साथ मेरा 
वरना मैं तो मर जाऊंगा 

देना तुम भी साथ मेरा,
वादा है तुमसे ... 
गुलाब की पंखुड़ी बन के 
तेरे लिए बिखर जाऊंगा  !

मेरी वफ़ा मेरी चाहत को कभी 
यु ही नज़रंदाज़ न करना !
वरना मैं तो टूट जाऊंगा !

थामे रखना तुम भी साथ मेरा
मैं तो मर कर भी 
तेरा दमन खुशियों से भर जाऊंगा



                                             -  Vijay Giri