Monday 25 November 2013


                                                                   


केसे करे हम प्यार तुम्हे
ये हमें तुम बता दो !

थाम लो अब तुम
हमारे नाजुक से दिल को
या हमारी खता बता दो !

तड़प रहे है हम
तुम्हारे वीरह कि अग्नि में
अब थोडा तुम ये दूरियाँ मिटा दो 

केसे करे हम प्यार तुम्हे
ये हमें अब तुम ही बता दो 
VIJAY GIRI

Tuesday 5 November 2013

 
मेरा चाँद 
मेरा चाँद मेरे दिल में रहता है 
मेरे चाँद के लिए तो हर दिन
मेरा करवा-चोथ रहता है !

मांग भरी जिस चाँद ने मेरी
उसकी शीतल सी छाव 
मेरे बगिया में रहती है !

खिलते है फुल खुशियों के
जिसके प्यार से !
वो चाँद मेरे दिल में रहता है 

मेरे चाँद के लिए तो हर दिन 
मेरा करवा-चोथ रहता है !
 
विजय गिरी 

Thursday 10 October 2013



अब इस ज़माने में कहा किसी का
कोई साथ निभाता है !
अँधेरी राहों में तो अपना साया
भी साथ छोड़ जाता है !

कहते है हम जिसे अपनी ज़िन्दगी
एक दिन वो ज़िन्दगी ही
हमें धोखा दे जाता है


विजय गिरी



Friday 4 October 2013






तलाश 
इस  एक  बेगाने से शहर में !
मै अपना एक मुकम्मल
मुकाम ढूंड रहा हु !

दिए है जिस बेवफा ने
मेरे दिल पर-ता-उम्र  के लिए ज़ख़्म !
उस बेवफा के कदमो के
 निशान ढूंड रहा हु !

इस एक बेगाने से शहर में !
मै एक अपना मुकम्मल
कब्रिस्तान ढूंड रहा हु !
विजय गिरी
 
 

इस एक बेगाने से शहर में !
मै एक अपना मुकम्मल
कब्रिस्तान ढूंड रहा हु !
विजय गिरी

Wednesday 2 October 2013


 ऐ दोस्तों अपने अन्दर के जस्बाद  को जगा लो
 तुम्हे भी प्यार हो जायेगा
 दिल जब कैद हो जायेगा किसी की चाहत में
 वही प्यार  तुम्हे फिर ठुकराएगा
कशम उस खुदा की ऐ दोस्तों
उन ज़ख्मो से तू भी एक शायर हो  जायेगा

विजय गिरी

Friday 19 July 2013

                                                                              

  !! यादो के सहारे!!

उसकी यादो के सहारे ही 
जिए जा रहा हु मै !

बिता हुआ हर वो लम्हा
 कोरे कागज पर ही 
लिखता जा रहा हु मै !

दफ़न कर हर राज " विजय " 
अपने सीने में
एक कश्म-काश की 
जिंदगी जिए जा रहा हु मै !
विजय गिरी


!!अब ऐसा कोई साथी नहीं मिलता !!

अब तो हर गली-गली में 
प्यार का खिलौना बिकता है !
जिसके दिल में हो सच्ची मोहब्त 
वो ही दिन-रात रोता है !
कोई थाम ले किसी के
 बहते हुए अस्को को !
भला एसा साथी 
अब कहा कोई मिलता है ?

विजय गिरी 


!! मेरी बेबसी !! 

 मेरे फैसलों से हैरान रह जाते है सब !


अक्सर गम खरीद कर प्यार निभाता हू !
इसलिए शायद "विजय"को ठुकराते है सब !

करते है लोग "विजय"से बेवफाई
और मेरे बहते हुए अश्को से अपने
दिल की प्यास बुझाते है सब !

छोड़ देते है अक्सर लोग सुन-सान
राहों में "विजय" का साथ !

और दूर से ही "विजय" की बेबसी पर
मुस्कुराते है सब !
VIJAY GIRI

                                                               

  !!  टूटे बंधन !!

अरे कोई तो सम्भाल लो मुझे !
मै वो दुनिया छोड़ कर आया हु !
वो सारे बंधन तोड़ कर आया हु !


अब ना जाऊंगा कभी उनकी गलियों में !
अपनी मंजिल पा कर भी कलि हाथ 
आया हु !

अरे कोई तो सम्भाल लो मुझे !!
अब तो मै अपनी जिंदगी से ही हार
कर आया हु !

विजय गिरी




!! मेरी मजार के फुल !!

माना ये सनम तेरे कदमो में
आज भी कुछ दीवानों के फुल 
बिछते है !


पर यकीन मान वो दीवाने  भी 
अपने हाथो में मेरी ही मजार के फुल 
रखते है

विजय गिरी 



!! वो ही मेरे पास नहीं !!

खुशिया आज मेरे दामन में है !


पर खुशियों का अब मुझे कोई

अहसास नहीं !

शायद इस दिल में अब वो जस्बाद
कोई खवाब खास नहीं !

तलाशता था जिनके लिए में खुशिया
अब तो वो ही मेरे पास नहीं !

विजय गिरी 

Wednesday 26 June 2013


!! प्राक्रतिक संदेह !!

खो रही नमी ये भूमि 
सूरज की तपीश अभी बाकी है !
सिमट रही ये नदिया ,अब तो वारीश 
की भी कमी खलने वाली है !

संभल जाये हम मानव 
ये वृछ ही जिंदगी हमारी  है !
मत  करो खिलवाड़ इस प्राक्रतिक से 
जाने कैसी -कैसी विपदा आने वाली है !

आगाह  कर रही ये प्राक्रतिक हमें 
कही सुखा तो कही पनी-पानी है !
 खो रही प्रक्रति अपना संतुलन 
कही भूकंप तो कही तबाही है !

अब तो संभल जाये हम 
इसी वृछ इसी नदियों से प्रक्रति 
और प्रक्रति से ही जिंदगी हमारी है !

विजय गिरी   

Tuesday 25 June 2013



अब तो मौत भी नहीं आती यारो !
जाने किस अजनबी ने अपना
दामन मेरे लिए फैलाय हुए है !
...

हमने समझा था जिसे प्यार में
जिसे अपनी जिंदगी !

एक दिन मालूम पड़ा उसी जिंदगी
ने हमारे लिए मौत की बिसात
 
बिछाए हुए है ! 


 VIJAY GIRI





======>अलविदा <========
 

मै तेरी दुनीया से अब बहुत जा रहा हू !
 हो कर बड़ा मै बड़ा मशहुर जा रहा हू !
 भटकता रहा मै तेरी चाहत में !
 हो कर बड़ा अब मै मजबूर जा रहा हु !

 

ना होगी अब कभी मुझे तुमसे शीकायत !
ना होगी तुम्हे अब कभी कोई मुझसे
कोई शीकायत !
खुश रहना सदा तुम अपनी दुनिया में !
लिए अपने दिल में एक एसी मै उम्मीद
जा रहा हु !


सोचना तुम मै ही था बेवफा !
दिल में लिए तेरी यादे तुम्हे 
 अपने दिल के लिए करीब जा रहा हु !


नीभा के सारे इस ज़माने के 
 मै दस्तूर जा रहा हु !
मै तेरी दुनीया से अब बहुत 
 दूर जा रहा हु ! 
 
VIJAY GIRI

Monday 13 May 2013



 
मेरे पास वो लफ्ज नहीं जो तेरा दिल जीत सकु !
मेरे पास वो दौलत नहीं जो तुम्हारे लिए खुशीया
खरीद सकु !

मेरे पास तो सिर्फ एक दिल है !
जिसमे हर-पल तुम्हे संजोय rakh सकु 
                 
                     VIJAY GIRI

 
 
ठोकर लगी है एक ज़िन्दगी से !

मै मुस्कुराना भूल गया !

समेटे हुए हु उसकी कुछ पुरानी

यादो को !
मै खवाब सजाना भूल गया !

वो कहते थे हम ता उम्र साथ

निभायेगे तुम्हारा !
एक आंधी चली और

उनसे साथ मेरा छुट गया !

विजय गिरी



 
ना जाने मुझे कितने ज़ख़्म मिले
फूलो के सेज पर कांटे हर-दम मिले !

किस-किस से करू मै शिकवा यारो
कही प्यार तो कही वफ़ा के दामन
मै कांटे मिले !
हर मोड़ पे मुझे एक नए चेहरे मै
छुपे पुराने ज़ख़्म मिले !

देख मेरी हालत पिघल गए वो पत्थर भी
अक्सर मुझे ऐसे हम-सफ़र मिले !
धुल भरी आंधियो मे बढ़ते रहे ये कदम
गरदिस मे तो मेरे सितारे हर-दम मिले !

लोग तो किस्मत को आजमाते है यारो
किस्मत लिखने वाले मुझे आजमाते रहे
अरे टूट गई उनकी भी कलम !
जो इस दिल पे इतने ज़ख़्म मिले
 
विजय गिरी


कुछ अंकल जी बालो में खेजब लगते
तो बेटा जी भी राह चलती लडकियों
को देख सिटी बजाते !
कुछ आंटी जी लाली पोतती
तो बिटिया रानी भी
छोटे-छोटे कपड़ो के फेसन में इठलाती !
कुछ लड़के लोग भी नहीं है कम
गर्ल फ्रेंड के लिए तो
इनकी जेबे रहती है
हमेशा गर्म !
कुछ लडकिया भी अपनी अदाए दिखाती है
अपने बॉय फ्रेंड की गाड़ी पे फेवी क़ुइक की तरह
चिपकी नज़र आती है !
घटती है कोई घटना तो
हम सब शर्म की बाते बतियाते है !
उस समय लोग शायद अपने संस्कार
अपने कर्मो को भूल जाते है !

विजय गिरी



 
                                                 

!! दिल चाहता है  !!

दिल चाहता है
एक बार अपने प्यार
को पा लू !
अपने प्यार के लिए
हार हसरतों को मिटा दू
पर अपने उस प्यार को पा लू !
दिल चाहता है !
ना मिले वो प्यार
तो मौत को अपने
सीने से लगा लू
पर अपने प्यार को
पा लू !
विजय गिरी
— with Mak Kalal, Soniya
बलात्कार-अत्याचार क्यों ?

ये इन्सान क्यों हैवान होता जा रहा है
ये मानवता--इन्सानियत का रिश्ता
क्यों तार-तार होता जा रहा है !

ये माशूम सी बच्चीयो पर क्यों  परहार
अत्याचार-बलात्कार का
होता जा रहा है !

जिस माशूम का नहीं होता कोई दोष !
क्यों उनके दिलो पर ता-उम्र के लिए
ज़ख्मो का निशान होता जा रहा है !

ये भारत देश तो है !
राम-रहीम -मीरा-राधा के संस्कारो वाला !
अपनी रीती-रिवाजो से जाना-पहचाना !

फिर क्यों इंसानों में जानवरों सा
संस्कार होता जा रहा है !

VIJAY GIRI




 हे नारी

चंडी का रूप ले अब तू
अत्याचारियों का संघार कर
हाथो में ले कर खड़क
पापियों के लहू से अपना
सिंगार कर !

नहीं आयेगे अब कोई केशव तेरे
ना किसी अपने लाल पर एतबार कर
थाम लो अब अपने हाथो में खड़क
इस कलयुग के रकछशो का विनाश कर !

समझते है जो नारी की ममता को लाचारी
शीतल-निर्मल हिरदय वाली कन्या को कायरता
की निशानी !
ऐसे पापिओ -बलात्कारियो पर
अपनी शक्ति का परहार कर !

हे नारी
चंडी-काली का रूप ले अब तू
अत्याचारियों-बल्त्कारियो के
लहू से अपना सिंगार कर !
   

         VIJAY GIRI



 

मेरी दीवानगी
तेरी चाहत ने मुझे जीना सीखा दिया
ठहरे हुए इस दिल में एक हलचल
मचा दिया !

  मै अब तक था एक कोरे कागज की तरह !
जो तुमने एक नज़र देखा तो मुझे
शायर बना दिया !

मै जो डूबा एक बार तेरी झील सी आखो में !
जो मै डरता था किनारों से, अब तैरना
सीखा दिया !

ये तो है एक तेरी सासों की महक !
जो इस सुने से दिल में !
तुमने शोला जगा दिया !

अरे मै तो सोया था चैन से अपनी मजार पर  !

तूमने दो फुल चढ़ा के मुझको  जगा  दिया !

तेरी चाहत ने मुझे जीना सीखा दिया !

                                     विजय गिरी