Tuesday 29 November 2011

बेबसी की तड़प


तडपती रही वो मेरी जिंदगी 
मेरे ही नजरो के सामने और 
हम कुछ कर भी ना पाए !

क्या बताए हम तुम्हे दर्द-ए
दिल दोस्तों बड़ी मुद्दत से 
मिले वो हमें !

और हम थे इतने मजबूर
की दो लफ्ज प्यार के 
बोल भी ना पाए !

लोग आते रहे लोग जाते रहे 
कुछ तो हमारी बेबसी पे 
मुस्कुराते रहे !

तडपती रही वो जिंदगी हमारी
और हम दूर से ही तनहा 
बैठे अपने अस्क बहते रहे !

इस से बड़ी बेबसी भी क्या होगी
की हम अपनी तडपती हुई 
जिंदगी को दो पल का साथ 
दे - ना सके !

और रोना भी चाहा तो 
दिल खोल के रो ना सके !

विजय गिरी 



Monday 14 November 2011

आज की बोली बन्दुक की गोली है



आज लोगो की बोली मनो बन्दुक की 
गोली है !

छल्ली कर जाते ये सीना और खेली 
खून की होली है !

ओ प्यार के दुश्मन नफरत के पुजारी !
अजीब सी तेरी सीना-जोड़ी है !
प्यार-दोस्ती तेरा इमान खोखली 
तेरी ये बोली है !

हाथो की मेहन्दी को भी बदल देते 
लाल रंग में ये केसी लोगो की बोली 
है !
बात-बात पे खेली खून की होली है !


ओ गुरुर में जीने वालो देखो कितनी 
माओ की सुनी गोदी है !

दिल में भरा नफरत का बारूद 
तेरे लबो पे बन्दुक की गोली है !
खेली खून की होली है !
खेली खून की होली है 
विजय गिरी 





Thursday 10 November 2011

कदम-कदम बढ़ाये जा



कदम-कदम तू  बढ़ाये जा 
होसला  ऐ दिल तू बढ़ाये जा 
ना-रुक -ना झुक -ना पीछे 
तू मुड़ !

गहरी-गहरी सासों पे कदम
से कदम मिलाये जा !
तपती हुई धुप में लक्छ्य की 
लोअ जलाये जा !

ऊचे-ऊचे पर्वतो पे अपनी थाप
तू बनाये जा !
मंजिल है तेरे कदमो में बस
कदम-कदम तू बढ़ाये जा !

बढ़ते रह तू झटप-झटपट 
नजरो से काँटों को हटाये जा !

कदम-कदम तू बढ़ाये जा 
ना थक-ना हार रास्ते बनेगे
हजार !

कामयाबी होगी तेरे कदमो में 
बस होसला ए दिल बनाये जा
जित की लोअ जलाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
   विजय गिरी
 

Saturday 5 November 2011

प्यार का इज़हार



एक नज़र जो देख लो तुम मुझको 
तो मेरी तक़दीर बदल जाएगी !

बैठा हु तेरे इन्तजार में ये 
तेरी जुल्फों से दिल पे सावन की 
घटा छा जाएगी !

मै मदहोश हु तेरे खयालो में 
जाने कब तेरे गुलाबी-सुर्ख ओठ 
मेरी प्यास बुझाएगी !

जाने कितने घायल हुए 
तेरी इन कातिल नजरो से 
मुझे कब ये अपनी पलकों 
में बसाएगी !

ये खिलता हुआ योवन सावन 
में भी पतझड़ की तरह यु ही 
गुजर जाएगी !

एक नज़र जो देख लो तुम 
मुझको तो मेरी तक़दीर ही 
बदल जाएगी !

विजय गिरी