Saturday 25 February 2012

पराया दिल


 पराया दिल 
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आज भी  इस दिल में उसी बेवेफा
के लिए प्यार है !

सोचता हु उन बीते हुए लम्हों 
को दिल से भुला दू !

पर क्या करू ये मेरा दिल भी
तो उंसी बेवफा  के पास है !!

विजय गिरी 



Thursday 16 February 2012

मेरा नशीब

                                                                       

                                                 मेरे  नशीब 
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एक पल की ख़ुशी का मुझे उस खुदा ने
मोहताज बना दीया !
एक थी वो मेरी जिंदगी उसे भी उस खुदा 
ने अपने ही पास बुला लीया !

बड़ा बेबस हु चन्द खुशियों के लिए !
चन्द पली की मांगी जो खुशिया 
उस खुदा से !
मुझे फकीर बना दीया !

थक गया हु  इस संघर्ष भरी जिंदगी से !
माँगा जो साथ किसी का एक पल के लिए !
लोगो की ठोकरों को ही मेरा नशीब बना 
दीया !

विजय गिरी 

Thursday 9 February 2012

बेवफा सनम


बेवफा सनम 
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तेरी चाहत में तो खुद को 
भुला दिया !
ओढ़ के कफ़न हर राज को 
अपने सीने में छुपा लीया !

माना तेरी चाहत में आज भी 
लोगो के सर झुकते है !
पर यकीन कर वो लोग मेरी 
ही मजार के फुल अपने हाथो 
में रखते है !

तेरी खुदगर्जी को क्या कहू  मै
ए- सनम ! 
बेवफा बोलू तो लोग मुझपे ही
हँसते है !

मेरी मोहबत की कसमे तो लोग 
आज भी खाते है !
अपने प्यार के खातीर वो अपना
सर मेरी मजार पे झुकाते है !

मेरी मोहबत का  तुमने ये केसा 
दगा दिया !
तेरी चाहत में तो मेने खुद को
मिटा दिया !

विजय गिरी