Thursday 9 February 2012

बेवफा सनम


बेवफा सनम 
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तेरी चाहत में तो खुद को 
भुला दिया !
ओढ़ के कफ़न हर राज को 
अपने सीने में छुपा लीया !

माना तेरी चाहत में आज भी 
लोगो के सर झुकते है !
पर यकीन कर वो लोग मेरी 
ही मजार के फुल अपने हाथो 
में रखते है !

तेरी खुदगर्जी को क्या कहू  मै
ए- सनम ! 
बेवफा बोलू तो लोग मुझपे ही
हँसते है !

मेरी मोहबत की कसमे तो लोग 
आज भी खाते है !
अपने प्यार के खातीर वो अपना
सर मेरी मजार पे झुकाते है !

मेरी मोहबत का  तुमने ये केसा 
दगा दिया !
तेरी चाहत में तो मेने खुद को
मिटा दिया !

विजय गिरी 

7 comments:

  1. oustanding.......superbbbbb

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  2. pari sis & rakesh kabhi kabhar yaha bhi ghumne aa jaya kijiye

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  3. तेरी चाहत में तो खुद को
    भुला दिया !
    ओढ़ के कफ़न हर राज को
    अपने सीने में छुपा लीया !
    मेरी मोहबत की कसमे तो लोग
    आज भी खाते है !
    अपने प्यार के खातीर वो अपना
    सर मेरी मजार पे झुकाते है !
    लाजवाब ग़ज़ल,बधाई

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  4. dr.sahab aap ka bahut-bahut aabhar es nachij ki rachna ko badhai ke liye !

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