Saturday 7 July 2012

मेरे ज़ख्मो पे बजती है तालियाँ



खुशियों में कविता और गम शायरी लिखते हैं
खुदा रखे उन्हें सलामत जिस पे हम मरते हैं
महफ़िलो में जब हम दर्द ऐ दिल बया करते हैं
दोस्तों एक आह सी निकल जाती हैं
जब लोग वाह वाह करते हैं


कोरे कागज़ पे जब हम हाल-ऐ-दिल लिखते है
लोग उसे भी एक ग़ज़ल कहते हैं
पलके छलक  जाती है 
जब लोग हमसे एक और फरमाइश करते हैं
 

खुदा रखे उन्हें सलामत जिनकी यादों
में हम दर्द-ऐ-दिल लिखते है
जिसे कोई कविता,तो कोई शायरी कहते हैं...




-Vijay Giri

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