Monday 13 May 2013



 
ना जाने मुझे कितने ज़ख़्म मिले
फूलो के सेज पर कांटे हर-दम मिले !

किस-किस से करू मै शिकवा यारो
कही प्यार तो कही वफ़ा के दामन
मै कांटे मिले !
हर मोड़ पे मुझे एक नए चेहरे मै
छुपे पुराने ज़ख़्म मिले !

देख मेरी हालत पिघल गए वो पत्थर भी
अक्सर मुझे ऐसे हम-सफ़र मिले !
धुल भरी आंधियो मे बढ़ते रहे ये कदम
गरदिस मे तो मेरे सितारे हर-दम मिले !

लोग तो किस्मत को आजमाते है यारो
किस्मत लिखने वाले मुझे आजमाते रहे
अरे टूट गई उनकी भी कलम !
जो इस दिल पे इतने ज़ख़्म मिले
 
विजय गिरी

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