Saturday, 7 July 2012

मेरे ज़ख्मो पे बजती है तालियाँ



खुशियों में कविता और गम शायरी लिखते हैं
खुदा रखे उन्हें सलामत जिस पे हम मरते हैं
महफ़िलो में जब हम दर्द ऐ दिल बया करते हैं
दोस्तों एक आह सी निकल जाती हैं
जब लोग वाह वाह करते हैं


कोरे कागज़ पे जब हम हाल-ऐ-दिल लिखते है
लोग उसे भी एक ग़ज़ल कहते हैं
पलके छलक  जाती है 
जब लोग हमसे एक और फरमाइश करते हैं
 

खुदा रखे उन्हें सलामत जिनकी यादों
में हम दर्द-ऐ-दिल लिखते है
जिसे कोई कविता,तो कोई शायरी कहते हैं...




-Vijay Giri

थामे रखना हाथ






थामे रखना हाथ  मेरा 
वरना आज़ाद पंछी की तरह 
मै उड़ जाऊंगा 
यादो में तेरी एक 
मीठा सा दर्द बनके बस जाऊंगा  !
 
छोड़ना न कभी साथ मेरा 
वरना मैं तो मर जाऊंगा 

देना तुम भी साथ मेरा,
वादा है तुमसे ... 
गुलाब की पंखुड़ी बन के 
तेरे लिए बिखर जाऊंगा  !

मेरी वफ़ा मेरी चाहत को कभी 
यु ही नज़रंदाज़ न करना !
वरना मैं तो टूट जाऊंगा !

थामे रखना तुम भी साथ मेरा
मैं तो मर कर भी 
तेरा दमन खुशियों से भर जाऊंगा



                                             -  Vijay Giri

Wednesday, 21 March 2012

तुम-बिन


तुम-बिन
<=====>

कोई ख़ुशी अब कोई गम नहीं है !
तुमसे जुदाई का अब कोई इस
दिल में ज़ख़्म नहीं है !

सारे कश्मे-वादे टूट गए !
अब इस दिल में भी कोई 
उमंग नहीं है !

हमने पनाह ले-ली अब गहरी 
नींद की आगोश में !
बेवफा हो तुम किसी दिल के 
कातिल हम नहीं है !

कितनी सिद्दत से चाहा तुम्हे !
तुम-बिन हम केसे रह पाते
ऐ- मेरी जिंदगी !

तुमसे जुदा हो कर अब ज़िन्दा
हम नहीं है !

विजय गिरी 

Sunday, 4 March 2012

मेरी दीवानगी

       

   मेरी दीवानगी 
   <= = = = = = = = = = = = >
कतरा -कतरा बहते मेरे अस्क
और मै बड़ा मशहूर हो गया !
बड़ी अजीब सी है मेरी दीवानगी 
मै खुद से दूर हो गया !

पल-पल छलकती मेरी आखे 
हर सपना अस्को में खो गया 
मै अब तक भटक रहा उसकी 
ही चाहत  में मै दीवाना मशहूर 
हो गया !

जब से मिल कर बिछड़े वो हम से
मेरे लबो को गुन-गुनाना आ गया 
अरे थोडा मशहूर  क्या हुए हम
की एस ज़माने को दिल जलना 
आ गया !

कतरा -कतरा बहते मेरे अस्क
और मै बड़ा मशहूर हो गया !
बड़ी अजीब सी है मेरी दीवानगी 
मै खुद से दूर हो गया !


विजय गिरी 


Saturday, 3 March 2012

कशक


कसक 
 <= = = = = = = => 
इस दिल में एक कशक सी रहती है !
जीन पलकों ने संजोये थे सपने 
वो पलके भी अब रोते-रोते 
सोती है !

ना जाने लगी ये किसकी नज़र 
जो खिले हुए बागो में भी 
वो फूलो पे उदासी सी रहती है !

हरा-भरा है घर आँगन मेरा 
हर कोने से किलकारी गूंजती है !

पर जाने क्यों हर-पल मुझे एक
कमी सी इस दिल में खलती है !

हर सुबह की किरणों में मुझे 
एक उम्मीद की रौशनी आती है !
पर ढलती हुई शामो में ये सासे
थम सी जाती है !

रस्ता देख रही ये सुनी नज़रे 
ये पलके भी छलक-छलक 
सी जाती है !

बिता हुआ हर वो लम्हा यादो 
में एक कसक सी दे जाती है !
विजय गिरी 

Saturday, 25 February 2012

पराया दिल


 पराया दिल 
  = = = = = = = = = = = =

आज भी  इस दिल में उसी बेवेफा
के लिए प्यार है !

सोचता हु उन बीते हुए लम्हों 
को दिल से भुला दू !

पर क्या करू ये मेरा दिल भी
तो उंसी बेवफा  के पास है !!

विजय गिरी 



Thursday, 16 February 2012

मेरा नशीब

                                                                       

                                                 मेरे  नशीब 
                                         <=============>
एक पल की ख़ुशी का मुझे उस खुदा ने
मोहताज बना दीया !
एक थी वो मेरी जिंदगी उसे भी उस खुदा 
ने अपने ही पास बुला लीया !

बड़ा बेबस हु चन्द खुशियों के लिए !
चन्द पली की मांगी जो खुशिया 
उस खुदा से !
मुझे फकीर बना दीया !

थक गया हु  इस संघर्ष भरी जिंदगी से !
माँगा जो साथ किसी का एक पल के लिए !
लोगो की ठोकरों को ही मेरा नशीब बना 
दीया !

विजय गिरी 

Thursday, 9 February 2012

बेवफा सनम


बेवफा सनम 
<<=====>>
तेरी चाहत में तो खुद को 
भुला दिया !
ओढ़ के कफ़न हर राज को 
अपने सीने में छुपा लीया !

माना तेरी चाहत में आज भी 
लोगो के सर झुकते है !
पर यकीन कर वो लोग मेरी 
ही मजार के फुल अपने हाथो 
में रखते है !

तेरी खुदगर्जी को क्या कहू  मै
ए- सनम ! 
बेवफा बोलू तो लोग मुझपे ही
हँसते है !

मेरी मोहबत की कसमे तो लोग 
आज भी खाते है !
अपने प्यार के खातीर वो अपना
सर मेरी मजार पे झुकाते है !

मेरी मोहबत का  तुमने ये केसा 
दगा दिया !
तेरी चाहत में तो मेने खुद को
मिटा दिया !

विजय गिरी 

Tuesday, 24 January 2012


मेरा प्यार 

उनकी हर यादो को अपने सीने
से लगा रखा है !
मोहब्त न हो बदनाम 
उनकी बेवफाई  को दिल में 
छुपा रखा है !

उन्हें तो इस बात की खबर 
भी नहीं यारो  !
हमने तो कब्र में ही अब अपना 
आशियाना बना रखा है !

वो बैठे है अपने महबूब के साथ 
सुकून से वहा !
जहा इस दुनिया वालो ने मेरी 
कबर पे फूलो को सजा रखा है 
विजय गिरी 

Thursday, 12 January 2012

प्यार की मौत


प्यार की मौत 
<====+===>

उनको अपनी जिंदगी समझ के 
हर खवाबो को हम सजाते रहे !

वो रुठते रहे हम से यारो !
हम तो प्यार का खुदा समझ 
के उन्हें मनाते रहे !

हमारी चाहतो में जाने  कितनो 
के अश्क छलकते रहे !
कई ने दिया पनाह हमें अपनी 
आगोश में !
पर हम तो सिसकते हुए !
उन्हें अपनी जिंदगी समझ 
के बढ़ते रहे !

होश न था हमें भी यारो !
प्यार-मोहबत की चाहत में 
कभी खवाब टूटते तो कभी 
सवरते रहे !

जब मिली वो जिंदगी हमारी तो 
देखा हमने !
ये कदम तो प्यार की चाहत में
मौत की तरफ ही  बढ़ते रहे !
विजय गिरी !

Tuesday, 10 January 2012

प्यार का खिलौना


प्यार का खिलौना
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होश वालो की दुनीया में तो 
हमें बहुत डर लगता है !
सुना है उनकी दुनीया में तो 
प्यार का खिलौना बिकता है !

टूटे हुए दिलो की नुमाइश जब
मैखानो में लगता है !
जहा एक जाम पे वो प्यार का 
बंधन बेवफाई के लफ्जो में 
बदलता है !

एसी दुनीया वालो से हमें डर 
लगता है !
अरे हमें मदहोश रहने दो 
अपनी ही दुनीया में यारो !

भला इस मतलब के ज़माने 
में दर्द-ए-गम की दावा कौन
रखता है !
विजय गिरी 

Friday, 6 January 2012

किस्मत की लकीर



ये किस्मत भी जाने क्या क्या गुल खिलाती हैं !!!!

बंद आँखों में सपने दिखाती है 

और खुले आँखों में आसू दे जाती है ...



नादानियों भरे बचपन में एक रेत के बने महेल में ही ,

वो सारी खुशिया दे जाती है 

समझदारी के देहलीज पे ही ये दिल तोड़ जाती है ,

ये किस्मत भी जाने क्या क्या गुल खिलाती हैं !!!!


जिनके हाथ है ,वो लकीरों को ताकते रह जाते है 

तो कई मेहनत से उनमें रंग भरते उम्र गुजार जाते है ..

जिनके हाथ नहीं होते यारो ,उनकी तक़दीर भी रंग जाती है ...

ये किस्मत भी जाने क्या क्या गुल खिलाती हैं !!!!

                          VIJAY GIRI

Thursday, 5 January 2012

यु तुम दूर जाया ना करो !!



यु तिरछी नजरो से देख के 
तुम हमें घायल बनाया ना
करो !

रातो को खवाबो में आ कर 
यु मुस्कुराया ना करो !
छुप-छुप के देख के हमें 
यु शरमाया ना करो !

नज़रे मिला के यु नज़रे
हमसे  चुराया ना करो !
हो तुम हमारे दिल में यु दिल 
को दुखया ना करो !

बड़ा नाज़ुक सा है ये हमारा भी 
दिल !
यु बार-बार जा दूर जा के तुम 
हमें यु आजमाया ना करो !
विजय गिरी 

"प्यार...हर दिल का रोग





प्यार ईमान,प्यार खुदा !

ये प्यार तो हर दिल को होता है..

प्यार इबादत,प्यार जिंदगी !

ये प्यार तो हर दिल को छूता है..


प्यार कसम,प्यार विश्वास..!

ये प्यार तो बड़े तप से होता है..


प्यार जख्म,प्यार में हर दिल कुर्बान !

इस प्यार में फिर क्यों हर कोई रोता है...?


प्यार जन्नत,प्यार जहाँन ..!

इस प्यार में फिर क्यों कोई खुदा  को खोता है...?


by==vijay giri

Monday, 2 January 2012

तुम्हे दिल में बसा रखा है



मेरी सूरत को ना देख 
मेरी अदाओ को ना देख !
देखना है तो तू  मेरे जस्बादो
को देख !

जीसने हर खवाबो को तेरे
लिए सजा रखा है !
तेरे आने के इंतजार में हर 
गली रास्तो पे फूलो का सेज 
बिछा रखा है !

चुभ ना जाये कोई कांटा 
इसलिए हर काँटों को अपने 
दमन से लगा रखा है !

भुला के दुनिया को  इस दिल 
में बस तुम्हे तुम्हे ही बसा 
रखा है !
विजय गिरी