Friday 4 October 2013






तलाश 
इस  एक  बेगाने से शहर में !
मै अपना एक मुकम्मल
मुकाम ढूंड रहा हु !

दिए है जिस बेवफा ने
मेरे दिल पर-ता-उम्र  के लिए ज़ख़्म !
उस बेवफा के कदमो के
 निशान ढूंड रहा हु !

इस एक बेगाने से शहर में !
मै एक अपना मुकम्मल
कब्रिस्तान ढूंड रहा हु !
विजय गिरी
 
 

इस एक बेगाने से शहर में !
मै एक अपना मुकम्मल
कब्रिस्तान ढूंड रहा हु !
विजय गिरी

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