Thursday 10 November 2011

कदम-कदम बढ़ाये जा



कदम-कदम तू  बढ़ाये जा 
होसला  ऐ दिल तू बढ़ाये जा 
ना-रुक -ना झुक -ना पीछे 
तू मुड़ !

गहरी-गहरी सासों पे कदम
से कदम मिलाये जा !
तपती हुई धुप में लक्छ्य की 
लोअ जलाये जा !

ऊचे-ऊचे पर्वतो पे अपनी थाप
तू बनाये जा !
मंजिल है तेरे कदमो में बस
कदम-कदम तू बढ़ाये जा !

बढ़ते रह तू झटप-झटपट 
नजरो से काँटों को हटाये जा !

कदम-कदम तू बढ़ाये जा 
ना थक-ना हार रास्ते बनेगे
हजार !

कामयाबी होगी तेरे कदमो में 
बस होसला ए दिल बनाये जा
जित की लोअ जलाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
कदम-कदम बढ़ाये जा !
   विजय गिरी
 

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