Saturday 5 November 2011

प्यार का इज़हार



एक नज़र जो देख लो तुम मुझको 
तो मेरी तक़दीर बदल जाएगी !

बैठा हु तेरे इन्तजार में ये 
तेरी जुल्फों से दिल पे सावन की 
घटा छा जाएगी !

मै मदहोश हु तेरे खयालो में 
जाने कब तेरे गुलाबी-सुर्ख ओठ 
मेरी प्यास बुझाएगी !

जाने कितने घायल हुए 
तेरी इन कातिल नजरो से 
मुझे कब ये अपनी पलकों 
में बसाएगी !

ये खिलता हुआ योवन सावन 
में भी पतझड़ की तरह यु ही 
गुजर जाएगी !

एक नज़र जो देख लो तुम 
मुझको तो मेरी तक़दीर ही 
बदल जाएगी !

विजय गिरी

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