Thursday 1 December 2011

मेरे जस्बाद

प्यार-विशवाश से जो देखे कोई हमें 
तो मई गले का हार हु !
वर्ना चमकती हुई एक तलवार 
हु मै !

प्यार की भाषा के लिए एक मीठी
सी बोली हु मै !
नफरत के लिए तो एक बन्दुक 
की गोली हु मै !

किसी का प्यार किसी का सम्मान 
तो किसी का इमान हु मै !
एस कलयुग में सीधा-सच्चा इंसान
 हु मै !



प्यार-विस्वास इमान पे तो कुर्बान हु मै
वर्ना महाकाल हु मै !

इंसान हु इंसानों से प्यार करता
हु !
नजरो में सराफत और दिल में
दुस्मानो के लिए भी प्यार रखता 
हु मै !

हर इंसानों के जस्बदो का सम्मान
रखता हु मै !

मत खेलना मेरे जस्बदो से कभी !
वर्ना प्यार के साथ मौत का सामान 
रखता हु मै !
विजय गिरी 


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