Sunday 30 October 2011

मत कर इतना गुरुर



मत कर तू  खुद पे  इतना गुरुर 
की कही मेरी चाहत ही ना खत्म
ना हो जाए !

आए जब तू लौट के मेरे पास 
तो तेरा दिल ना कही टूट जाए !
मेरे प्यार को ना तू यु ठुकरा 
मुझसे ना तू यु नज़रे चुरा !
की मेरा एतबार टूट जाए !

लौट के आए जब तू इस ज़माने
में सब कुछ खो के तो मेरी कब्र
से भी ख़ाली हाथ ना तुम्हे लौटना 
पड़ जाए !

मत कर खुद पे तू इतना गुरुर 
की तुम्हे खुद के फैसले पे 
अफ़सोस हो जाए !

अरे एक नज़र तो देख लो मुझे 
भी जाने कब तुम्हारे इंतजार 
मेरी ये सांसे थम जाए !
विजय गिरी

No comments:

Post a Comment