Thursday 12 January 2012

प्यार की मौत


प्यार की मौत 
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उनको अपनी जिंदगी समझ के 
हर खवाबो को हम सजाते रहे !

वो रुठते रहे हम से यारो !
हम तो प्यार का खुदा समझ 
के उन्हें मनाते रहे !

हमारी चाहतो में जाने  कितनो 
के अश्क छलकते रहे !
कई ने दिया पनाह हमें अपनी 
आगोश में !
पर हम तो सिसकते हुए !
उन्हें अपनी जिंदगी समझ 
के बढ़ते रहे !

होश न था हमें भी यारो !
प्यार-मोहबत की चाहत में 
कभी खवाब टूटते तो कभी 
सवरते रहे !

जब मिली वो जिंदगी हमारी तो 
देखा हमने !
ये कदम तो प्यार की चाहत में
मौत की तरफ ही  बढ़ते रहे !
विजय गिरी !

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