देखो-देख़ो हमारे नेता जी के हाल
सर पे टोपी , ऐ.सी है कार
जनता उठा रही है नेता जी का भार !!
सफ़ेद कुर्ते पे लगता कला बदनामी का दाग
नेता जी कहते ,ये है विरोधियो की चाल
सीबीआई वाले अपना सर खुजाते
नेता जी अपनी फोटो खिचवाते
देश की जनता अपनी किस्मत को गाते !!
देखो-देखो ये नेता जी की हाल
बगल में हमेशा इनकी गन की दुकान
बाक़ी जनता है रद्दी सामान !!
जनता की कमाई ये मिलकर खाए
विकास के नाम पर जाँच करवाये
ना भरे पेट तो जनता पर लाठिया गिरवाये !!
सुनो-सुनो नेता जी के मीठे बोल
मंत्री जी दे-दो मुझे भी एक कुर्सी
वार्ना खोल दू मैं तुम्हारे सारे पोल !!
नेता जी एक बार हमारे घर को आते
हाँथ जोड़ प्यार से अपना सर झुकाते
चुनाव जीत कुर्सी पाते
फिर दूर से ही टाटा कर हमें
अपना ठेंगा दिखाते !!
Tuesday, 22 July 2014
यहाँ हर शख्श मुर्दो की बस्ती में
इन्सान ढूंढ़ता है !!
जस्बादो की अर्थी के लिए
किसी का प्यार ढूंढ़ता है !
देख हैवानियत का खेल
इस दुनियाँ में बहु-बेटी की
मर्यादा के लिए
पीता शैतान ढूंढ़ता है !
दफ़न कर अपने जमीर
अपने ईमान को
हर शख्श दुसरो में
ईमान ढूंढ़ता है !
यहाँ हर शख़्श मुर्दो की बस्ती में
इन्सान ढूंढ़ता है !
विजय गिरी
Thursday, 17 July 2014
दिल से दिल मिला के गोरी
चल तू भी मेरी रहो पर
तुम्हे जन्नत की शेर कराउंगा
बाहों में भर कर अपनी
गोरी जन्मो-जन्मो के लिए
तेरा में हो जाऊंगा !!
थाम ले गोरी अब तू भी दिल मेरा
वार्ना तू पछताएगी
नहीं मिलेगा कोई दीवाना
मुझ जैसा
तुम्हे याद मेरी बहुत आएगी!!
दिल दुखायेगे तुम्हार ये दुनिया वाले
मेरी ये सांसे जब तुमसे रुठ जाएगी
दिल से दिल मिला के गोरी
चल तू भी मेरी रहो पर
पा कर तेरा प्यार रांझा में बन जाउंगा
साथ तेरा पा कर गोरी
जन्मो-जन्मो के लिए तेरा में हो जाऊंगा !!
मुझसे भी कर थोड़ी वफ़ा तू
लबो को करीब आने दे
एक हल्का सा नशा
मेरे दिल पर भी
तू अब चढ़ जाने दे !!
बहुत सुने है
प्यार-मोहबत के किस्से मैने
ये खूबसूरत गुनाह
एक बार हो जाने दे !!
ना कशक रहे तेरे दिल में
ना कशक रहे मेरे दिल में
दिल से दिल मिल जाने दे
मुझसे भी कर थोड़ी वफ़ा तू
लबो को करीब आने दे !!
चढ़ता है अगर खुमार मोहबत का
तो प्यार में ये खूबसूरत
गुनाह हो जाने दे !!
विजय गिरी
लबो को करीब आने दे
एक हल्का सा नशा
मेरे दिल पर भी
तू अब चढ़ जाने दे !!
बहुत सुने है
प्यार-मोहबत के किस्से मैने
ये खूबसूरत गुनाह
एक बार हो जाने दे !!
ना कशक रहे तेरे दिल में
ना कशक रहे मेरे दिल में
दिल से दिल मिल जाने दे
मुझसे भी कर थोड़ी वफ़ा तू
लबो को करीब आने दे !!
चढ़ता है अगर खुमार मोहबत का
तो प्यार में ये खूबसूरत
गुनाह हो जाने दे !!
विजय गिरी
कहने को मै देवी हु जननी हु
पर कोख मे दफ़न होने वाली
मै एक बेटी हु !!
कहने को मै लक्ष्मी हु शक्ती हु
पर दहेज के लिये जलने वाली
मै एक बेटी !!
कहने को मै लाज हु संस्कार हु
पर वहशी-दरिंदो कि वासना कि शिकार
मै एक बेटी हु !!
पर वहशी-दरिंदो कि वासना कि शिकार
मै एक बेटी हु !!
कहने को मै परिवार कि मुस्कान हु
भूखे पेट सोने वाली बहन-मॉ हु
पर अपने परिवार कि बोझ
मै एक बेटी हु !!
बेटी हु इसलिए हर दुख सहती हु
कभी भूखे पेट तो कभी दहेज के लिये
मरती हु!!
कोख मे दफ़न हो कर भी
चुप चाप खामोस सी रहती हू
क्यो कि मै एक बेटी हु !!
विजय गिरी
ज़ख्म मेरे सीने मे ,
ताजा यादो को
यार रहने दो
लगाली मेहदी जीसने हॉथो मे
कीसी और के नाम की
उस बेवफा को ही यारो
आबाद रहने दो
उनकी यादे लीऐ अपने सीने मे
मैखाने मे यार हमे
बदहवाश रहने दो
उजर गऐ आशीयाना
जीसकी चाहत मे हमारे
यारो उस बेवफा को
आबाद-कीसी का
प्यार
रहने दो
ज़ख्म मेरे सीने मे ,
ताजा यादो को
यार रहने दो
VIJAY GIRI
शाम उदास है सुबह उदास है
बैठे है तेरे इंतजार में
जिनदगी से परेशान है !!
मेरी मोहबत को अब
तू और ना आज़मा
तेरे इंतहां से अब वो
ख़ुदा भी हैरान है!!
देख तो कभी मेरे
दिल के आईने में
हर जगह सिर्फ तेरे ही
ज़ख्मो के निशान है!!
शाम उदास है सुबह उदास है
मुस्कुराते हुए लबो के
पीछे मेरी ज़िंदगी उदास है !!
विजय गिरी
क्या लिखू अब सीने में
कोई दर्द नहीं है
कलम तो चलती है
ज़िंदगी के पन्नो पर
अब अश्क नहीं है !
जीने का मज़ा तो तब आता है
जब ज़िंदगी में प्यार हो
किसी का एहसास हो !
हम तो तुमसे बिछड़ कर
ऐसे मरे अब कफ़न नहीं है !
क्या करे अब सीने में कोई
दर्द नहीं है
क्या करेंगे जी कर हम ऐ सनम
अब दे सको तुम कोई दर्द हमें
ऐसा बचा कोई ज़ख़्म नहीं है !
क्या लिखू अब सीने में कोई
दर्द नहीं है
कलम तो चलती है
ज़िंदगी के पन्नो पर
अब अश्क नहीं है !
VIJAY GIRI
Wednesday, 16 July 2014
रंगो से अंग-अंग रंग दू गोरी
प्यार से रंग दू तुम्हारा मन
ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !
हर नशा चढ़ जाये तुम्हे
खेल कर होली मेरे संग
ऐसे रंगु तुम्हे प्यार कि होली में
जेसे चढ़ा था मीरा पर
किशन का रंग !
जात-पात-उंच-नीच
सब के है फीके रंग
ऐसा रंग लगाउ प्यार का
जेसे श्री राम बैठे हो सबरी के संग !
खेल कर होली मेरे संग
ऐसे रंगु तुम्हे प्यार कि होली में
जेसे चढ़ा था मीरा पर
किशन का रंग !
जात-पात-उंच-नीच
सब के है फीके रंग
ऐसा रंग लगाउ प्यार का
जेसे श्री राम बैठे हो सबरी के संग !
अंग से अंग लगा के गोरी
प्यार के रंग से रंग दू
तुम्हार तन-मन
ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !
VIJAY GIRI
Tuesday, 15 July 2014
माँ तुम दिल बनकर
आज भी सीने में धड़कती हो
ठोकर लगने पर
पलकों से आज भी तुम
बरसती हो !
मेरी हर पीडा तुम ही
समझती हो
अपनी ममता कि खुशबु से
हर दर्द मेरा हरती हो !
माँ तुम नब्ज़ बनकर
मेरी रगो में बहती हो
ख़ुदा के घर में भी
मेरे बगैर माँ उदास
तुम बहुत रहती हो !
तमाम रिस्ते से बेहतर
तुम प्यार मुझे करती हो
माँ तुम दिल बनकर
आज भी मेरे
सीने में धडकती हो !
विजय गिरी
*******माँ******
ऐहसास तेरा हर पल दिल में खलता है
ऐ माँ याद कर प्यार तेरा
मेरी पलकों से अब दर्द छलकता है !!
बहुत दौलत-शोहरत पाया मेने
रातें अब करवट बदल-बदल गुजरता है
ऐ माँ तेरे आँचल का वो साया अब खलता है !!
संजोता रहा कागज के चंद टुकड़ो को
भूख ना मिटा पल-भर के लिए
अब ये दिल तड़पता है
ऐ माँ तेरे हाथो का अब वो
निवाला खलता है !!
इस भीड़ भड़ी दुनियाँ में
अब अकेला पन लगता है
ख़ुदा के घर आ कर तेरी
गोदी में सर रखकर सोने को दिल करता है
ऐ माँ याद कर प्यार तेरा
अब मेरी पलकों से दर्द छलकता है !!
विजय गिरी
ऐहसास तेरा हर पल दिल में खलता है
ऐ माँ याद कर प्यार तेरा
मेरी पलकों से अब दर्द छलकता है !!
बहुत दौलत-शोहरत पाया मेने
रातें अब करवट बदल-बदल गुजरता है
ऐ माँ तेरे आँचल का वो साया अब खलता है !!
संजोता रहा कागज के चंद टुकड़ो को
भूख ना मिटा पल-भर के लिए
अब ये दिल तड़पता है
ऐ माँ तेरे हाथो का अब वो
निवाला खलता है !!
इस भीड़ भड़ी दुनियाँ में
अब अकेला पन लगता है
ख़ुदा के घर आ कर तेरी
गोदी में सर रखकर सोने को दिल करता है
ऐ माँ याद कर प्यार तेरा
अब मेरी पलकों से दर्द छलकता है !!
विजय गिरी
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