Thursday 17 July 2014



कहने को मै देवी हु जननी हु
 पर कोख मे दफ़न होने वाली
 मै एक बेटी हु !!

कहने को मै लक्ष्मी हु शक्ती हु
 पर दहेज के लिये जलने वाली
 मै एक बेटी !!
कहने को मै लाज हु संस्कार हु
 पर वहशी-दरिंदो कि वासना कि शिकार 
मै एक बेटी हु !!

कहने को मै परिवार कि मुस्कान हु
 भूखे पेट सोने वाली बहन-मॉ हु
 पर अपने परिवार कि बोझ
मै एक बेटी हु !!

बेटी हु इसलिए हर दुख सहती हु
 कभी भूखे पेट तो कभी दहेज के लिये 
 मरती हु!!

कोख मे दफ़न हो कर भी
  चुप चाप खामोस सी रहती हू
 क्यो कि मै एक बेटी हु  !!

विजय गिरी

No comments:

Post a Comment