Tuesday, 22 July 2014



बदलने लगी  हैं फ़ितरत  लोगों की 
अहसासों  के रिश्ते भी अब 
पिघलने लगे लगे है !!

मुश्किलें हालत में  जो   लोग 
 थाम लेते थे हाथ हमारा !!

 अब  मेरे आशुओ पर भी 
 वहीं लोग मुस्कुराने लगे हैं 

विजय गिरी
    


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