रंगो से अंग-अंग रंग दू गोरी
प्यार से रंग दू तुम्हारा मन
ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !
हर नशा चढ़ जाये तुम्हे
खेल कर होली मेरे संग
ऐसे रंगु तुम्हे प्यार कि होली में
जेसे चढ़ा था मीरा पर
किशन का रंग !
जात-पात-उंच-नीच
सब के है फीके रंग
ऐसा रंग लगाउ प्यार का
जेसे श्री राम बैठे हो सबरी के संग !
खेल कर होली मेरे संग
ऐसे रंगु तुम्हे प्यार कि होली में
जेसे चढ़ा था मीरा पर
किशन का रंग !
जात-पात-उंच-नीच
सब के है फीके रंग
ऐसा रंग लगाउ प्यार का
जेसे श्री राम बैठे हो सबरी के संग !
अंग से अंग लगा के गोरी
प्यार के रंग से रंग दू
तुम्हार तन-मन
ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !
VIJAY GIRI
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