Wednesday 16 July 2014


कभी ख़ुशी कभी गम
 गाता हु !!
पलटता हु जब
 ज़िंदगी के पन्नो को
 सहम जाता हु !!
पीकर अपने ही अश्को को
 पल दो पल के लिए
 उस बेवफा के खातिर
बहक जाता हु !!
सौदा किया मेरे दिल का
 पढ़ उसके पुराने ख़तो को
 मरने से थम जाता हु !
कभी ख़ुशी कभी
 गम गाता हु !!
विजय गिरी

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