Tuesday, 22 July 2014


माँ-बाप कि ममता के छाओं में
 बड़े हुए,बच्चे बीना किसी अभाव में !!

जाने कितनी राते कटी फाको में
 जाने कितने दिन रहे माँ-बाप
 बच्चो के खातिर उपवास में !!

आज उन्ही बूढी आँखों में
 आशु दे रहे बच्चे वो
 जिन आँखों से बहता था आशु
 बच्चो के उत्थान में !!
 
विजय गिरी

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