शाम उदास है सुबह उदास है
बैठे है तेरे इंतजार में
जिनदगी से परेशान है !!
मेरी मोहबत को अब
तू और ना आज़मा
तेरे इंतहां से अब वो
ख़ुदा भी हैरान है!!
देख तो कभी मेरे
दिल के आईने में
हर जगह सिर्फ तेरे ही
ज़ख्मो के निशान है!!
शाम उदास है सुबह उदास है
मुस्कुराते हुए लबो के
पीछे मेरी ज़िंदगी उदास है !!
विजय गिरी
No comments:
Post a Comment