क्या लिखू अब सीने में
कोई दर्द नहीं है
कलम तो चलती है
ज़िंदगी के पन्नो पर
अब अश्क नहीं है !
जीने का मज़ा तो तब आता है
जब ज़िंदगी में प्यार हो
किसी का एहसास हो !
हम तो तुमसे बिछड़ कर
ऐसे मरे अब कफ़न नहीं है !
क्या करे अब सीने में कोई
दर्द नहीं है
क्या करेंगे जी कर हम ऐ सनम
अब दे सको तुम कोई दर्द हमें
ऐसा बचा कोई ज़ख़्म नहीं है !
क्या लिखू अब सीने में कोई
दर्द नहीं है
कलम तो चलती है
ज़िंदगी के पन्नो पर
अब अश्क नहीं है !
VIJAY GIRI
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