बहुत रोया तेरे इंतजार में
रात-रात भर जगाया
तेरे ख्याल ने !
बहुत से ख़्वाब संजोय थे
तुम्हारे प्यार में
पर तुम्हारी भी वही फितरत है !
जो हाथ थाम कर साथ छोड़ देते है
मोहबत के बाजार में !
क्यों नहीं मिलता अब
कोई ऐसा साथी
जो फ़ना हो जाये मेरे प्यार में !
VIJAY GIRI
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