Wednesday 16 July 2014



रंगो से अंग-अंग रंग दू गोरी
 प्यार से रंग दू तुम्हारा मन
 ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
 फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !
हर नशा चढ़ जाये तुम्हे
 खेल कर होली मेरे संग
 ऐसे रंगु तुम्हे प्यार कि होली में 
जेसे चढ़ा था  मीरा पर
 किशन का रंग !

जात-पात-उंच-नीच
 सब के है फीके रंग
 ऐसा रंग लगाउ प्यार का
 जेसे श्री राम बैठे हो सबरी के संग !

अंग से अंग लगा के गोरी
 प्यार के रंग से रंग दू
 तुम्हार तन-मन
 ऐसा रंगु तुम्हे ओ गोरी
 फिर चढ़े ना कोई दूजा रंग !

VIJAY GIRI

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