Sunday 16 October 2011

दुश्मन की उम्र कम न करना


ज़िन्दगी में छोड़ जाए कोई साथ तुम्हारा 
तो गम ना करना !
किसी को पाने की कोशिश हर-दम 
ना करना !

जिन्हें परवाह है तुम्हारे प्यार की 
वो तो साथ निभायेगे !
जो जीते है खुद सिर्फ अपने लिए 
भला वो क्या साथ निभायेगे !

लगे कभी दिल में कोई ठेस तो 
भी गम ना करना !
किसी वेबफा के लिए अपनी पलके 
नम ना करना !

दुश्मनों के लिए भी अपने दिल के 
दरवाज़े बंद ना करना !
पर किसी को पाने की खवाइश 
हर-दम ना करना !

जब तक रहे ये ज़िन्दगी 
तब तक निभाना तुम कुछ 
ऐसे की वो बेवफा भी बोले !
ए खुदा इस दुश्मन की उम्र 
कभी कम ना करना !

विजय गिरी

 

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