Friday 2 September 2011

मेरा खुदा

 



 मेरा खुदा == ना मंदिर ना मस्जिद जाते है !
 हम तो बस तेरा ही गुणगान गाते है  !
 देखते है जब भी तुम्हे मनो चारो- धाम 
 हम तो तुम्ही में पाते है !
 झुकता है सारा संसार उस खुदा के सामने 
 पर उस खुदा का प्यार तो हम तुम्ही
        में पाते है !
 कोई दीप तो कोई मन्नत से उस खुदा को 
    बुलाता है ! 
 पर मेरा खुदा तो मेरी खुशियों के लिए 
 पल-भर में दोड़ा चला आता है !
 मेरे खुदा तो वो इंसान है !
 जीसके लीए मेरी खुशिया मंदिर
  और मेरा दिल अजान सामान है !
  तो क्यों जाऊ मै मंदिर क्यों
  जाऊ मै मस्जिद !
  मेरे लीए तो तू ही खुदा और
  तेरा प्यार ही वो चारो-धाम है !
विजय गिरी


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