Friday 16 September 2011

एक नजर जो देखा तुम्हे




एक नजर जो देखा तुम्हारा नुरानी चेहरा !
तो इस दील में तुम्हे बसा लिया !

है सागर से भी गहरी तुम्हारी आख़े जीसने
मुझे घायल बना दीया !

मदहोश है ये मेरा दील तेरे वास्ते तुम्हे 
तो हमने अपना मुकद्दर बना लीया   !

है तेरे ओठ तो वो गुलाबो की पंखुड़ी 
जीसे हमने अपना गजल बना लीया !

क्या खूब है तेरी अदाए क्या खुदा ने तुम्हे 
बना दीया !

नजर ना लगे  इस ज़माने की तुम्हे कही 
हमने तो अपनी पलकों में तुम्हे छुपा लीया !

देखा जो तुम्हे एक नजर तो पहली नजर 
में ही अपना बना लीया !

है तू -ही तो मेरी ज़िन्दगी तुम्हे अपने दील 
की धरकनो में बसा लीया !

            

             विजय गिरी





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