Monday 26 September 2011

कशमे-वादे


क्या कशमे तेरे क्या मेरे वादे है  !
तोड़ जाते हो दिल मेरा जाने क्या 
तुम्हारे इरादे है !

उजरी हुई दुनिया मेरी सुने दिल में 
सिर्फ यादे है !
एक डोर से बंधा ये रिश्ता फिर क्यों 
फासले हमारे है !

समझ ना पाया इस जिंदगी को 
थोड़ी सी खुशिया और गम के तो 
लाखो बहाने है !

मिल के बिछड़ना-बिछड़ के मिलना 
जाने ये केसी किस्मत हमारे है !

हर मोड़ पे छोड़ देते तुम साथ मेरा 
जाने क्या तुम्हारे इरादे है  !
ये केसी कशमे तेरी ये केसे मेरे 
वादे है !

     विजय गिरी



 

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