Friday 23 September 2011

इन्तजार



किसी की कमी तो वो जाने जीनकी
आँखे दिन-रात बरसती है !

जेसे बारिश की एक बूंद के लीए
ये प्यासी धरती तड़पती है  !

ये मोहब्त भी क्या चीज है जो सबको 
मील नहीं सकती !
अरे टूट भी जाय ये दील पर ये चाहत 
कभी रूठ नहीं सकती !

मेरी भी ये पलके तेरा रास्ता निहारती है !
कहा खो गए हो तुम ये तो दिन-रात 
बरसती है !

किसी की कमी तो वो जाने जो प्यार को
 जिंदगी समझते है !
जेसे रेगिस्तान की धुप में प्यासे एक बूंद 
पानी को तरसते है !

है मुझे भी तेरा इंतजार ये आँखे 
तरसती है !
जेसे बारिश की एक बूंद के लीए 
ये प्यासी धरती तरपती है !


विजय गिरी


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