Sunday 18 September 2011

ज़ख़्मी दील की सच्चाई




प्यार शब्द ही है एसा जो सीधे दील
को चिर देता है !

किसी को अपनी चाहत का एहसास
दिलाने में जाने कितना वक्त 
गुजर जाता है !

कोई थाम लेता है किसी के बहते है  हुए अस्को को 
तो किसी का सब कुछ अस्को में  ही  बह जाता है  !

जिन्हें समझते हो कोई अपनी मंजिल अपनी 
जिंदगी अक्सर वही दील तोड़ जाता है  !

जिसे मिल जाय अपनी मंजिल अपनी 
जिंदगी वो लव गुरु हो जाता है !

और जिसे समझ ना पाय कोई वो 
हम जैसा ज़ख़्मी दील कहलाता है  !

  विजय गिरी 








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